| 1. | राष्ट्रीय धन के दोहन विषयक मुद्दे उभरेंगे।
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| 2. | खून-पसीना एक कर देने से राष्ट्रीय धन तथा शक्ति बढ़ती है।
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| 3. | व्यक्तित्व पंथ को बढ़ावा देने अतिशयोक्ति नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय धन
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| 4. | और इस तरह की पलट नीति से राष्ट्रीय धन का अपव्यय ही होता है.
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| 5. | संवैधानिक अर्थशास्त्र ऐसे मुद्दों पर उचित राष्ट्रीय धन वितरण के रूप में अध्ययन करता है.
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| 6. | संवैधानिक अर्थशास्त्र ऐसे मुद्दों पर उचित राष्ट्रीय धन वितरण के रूप में अध्ययन करता है.
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| 7. | बाबा द्वारा की गई इस राष्ट्रीय धन की बचत की चर्चा शायद ही कहीं होती हो।
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| 8. | संवैधानिक अर्थशास्त्र ऐसे मुद्दों पर उचित राष्ट्रीय धन वितरण के रूप में अध्ययन करता है.
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| 9. | उद्यमिता विकास देश में पूंजी निर्माण चक्र को सुदृढ़ बनाकर राष्ट्रीय धन का सृजन करता है।
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| 10. | संवैधानिक अर्थशास्त्र ऐसे मुद्दों को राष्ट्रीय धन के उचित वितरण के रूप में अध्ययन करता है.
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